Research Article | Open Access
िंदीलघुकथाओमिं ेंमानवीयसिंबिंध किं ाहवमर्श
Kiran Bala Patel,Yogesh Kumar Sahu
Pages: 1056-1061
Abstract
यहशोधपत्रहहिंदीलघुकथाओमिं ेंमानवीयसिंबिंधोकिं े हवहवधपहलुओकिं ाहवश्लेषणकरताहै।इसमेंपाररवाररक,
सामाहिक, व्यक्तिगत,
औरव्यावसाहयकसिंबिंधोकिं ीिहिलताओऔिं रउनके सामाहिकएविंसािंस्कृ हतकसिंदर्भोंकोहवस्तृतरूपमेंप्रस्तुतहकया
गयाहै।प्रेमचिंद, इस्मतचुगताई, मोहनराके श, मिंिो, हररशिंकरपरसाई,
औरर्भीष्मसाहनीिैसेप्रमुखलेखकोकिं ीकहाहनयोकिं ागहनहवश्लेषणहकयागयाहै।इनकहाहनयोमिं ेंसिंबिंधोकिं े बीचके
तनाव, सिंघषष,
औरउनकीमनोवैज्ञाहनकिहिलताओिंकोउिागरहकयागयाहै।शोधके हनष्कषषके रूपमेंयहपायागयाहकहहिंदीलघु
कथाएँ मानवीयसिंबिंधोकिं ीयथाथषवादीऔरसिंवेदनशीलप्रस्तुहतके माध्यमसेपाठकोकिं ोसमािऔरिीवनकीगहराई
कोसमझनेमेंमददकरतीहैं।
Keywords
हहिंदीलघुकथाएँ, मानवीयसिंबिंध, पाररवाररकसिंबिंध, सामाहिकसिंबिंध