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Research Article | Open Access
Volume 12 2020 | None
िंदीलघुकथाओमिं ेंमानवीयसिंबिंध किं ाहवमर्श
Kiran Bala Patel,Yogesh Kumar Sahu
Pages: 1056-1061
Abstract
यहशोधपत्रहहिंदीलघुकथाओमिं ेंमानवीयसिंबिंधोकिं े हवहवधपहलुओकिं ाहवश्लेषणकरताहै।इसमेंपाररवाररक, सामाहिक, व्यक्तिगत, औरव्यावसाहयकसिंबिंधोकिं ीिहिलताओऔिं रउनके सामाहिकएविंसािंस्कृ हतकसिंदर्भोंकोहवस्तृतरूपमेंप्रस्तुतहकया गयाहै।प्रेमचिंद, इस्मतचुगताई, मोहनराके श, मिंिो, हररशिंकरपरसाई, औरर्भीष्मसाहनीिैसेप्रमुखलेखकोकिं ीकहाहनयोकिं ागहनहवश्लेषणहकयागयाहै।इनकहाहनयोमिं ेंसिंबिंधोकिं े बीचके तनाव, सिंघषष, औरउनकीमनोवैज्ञाहनकिहिलताओिंकोउिागरहकयागयाहै।शोधके हनष्कषषके रूपमेंयहपायागयाहकहहिंदीलघु कथाएँ मानवीयसिंबिंधोकिं ीयथाथषवादीऔरसिंवेदनशीलप्रस्तुहतके माध्यमसेपाठकोकिं ोसमािऔरिीवनकीगहराई कोसमझनेमेंमददकरतीहैं।
Keywords
हहिंदीलघुकथाएँ, मानवीयसिंबिंध, पाररवाररकसिंबिंध, सामाहिकसिंबिंध
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